Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 306
________________ २५८ विषय वोल भाग पृष्ठ मारणान्तिक समुद्घात ५४८२२८८.३६,७३३५६, द्रव्यलो.स. ३ १२४ वा. २३१ मार्ग की कथा औत्पत्तिकी८४६ ६ २६७ न० २७गा. ६३टी बुद्धि पर मार्गणा चौदह और उसके६ ३ ३ ३ १६६ नवगा. ३४, कर्म मा ४ श्री सेठिया जैन भन्यमाला अवान्तर भेट मार्गणा स्थान के अवान्तर ८४६ ५ ५७ भेद वासठ मार्गणास्थान चौदह १ मार्ग दूषण २ मार्गविप्रतिपत्ति मार्दव (मृदुता ) मार्दव (मृदुता ) * मालापहृत दीप 2 ८४६ ५ ५५ ४०६ २ ४३३ ममाण धर्म भागा १०-१४ "माम कल्प १ चरित्र रूप सत्य में सातवाला मार्गही जानी में वर्क्स भा. ४ गा.-१४ उत्तम ३६ २६ प्रदा. ७३ ६४६ ४०६ १ ४३३ उन ३६ २६ प्र हा. ७३ मा ६८६ ३५० १ ३६५ ३३ प्राद्वा ६६गा ४पनि भलो ४६११२७ ६६१ ३ २३३ नया २३, राम १० जागा.१ भा ८६५ ५ १६३ प्रादा. ६७.५६६ प्र.अधि. 2172,fi fam , *३ विगा.४, पंना १३.६ ६६३ ३ २४० चा १७३५-३७ बादि लगानाहार देना। माधुओं के एक नाम ने मन्थान पर उसके पालनामों में सत्यमार्ग को टपरीत न पहुंच गयी चतुरायादिमी है। "

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