Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 367
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, ध्याठवाँ भाग विषय सात वर्षधर पर्वत सातवादी (सुखवादी) बोल भाग पृष्ठ ५३७ २ २७० ५६१ ३ ६४ ५३६ २ २६६ सात वास (क्षेत्र) जम्बूद्वीप में सात विकथा ५५८ २३०१ ठा ७उ. ३ सू५४२ सात विभंगज्ञान सातव्यक्तियों (भ० मल्लिनाथ५४३ २ २७७ टा ७उ ३सू. ५६४ आदि) ने एकसाथ दीक्षा ली सात व्यसन ५३२ २ २६७ ठा.७ उ ३ सू५६६ प्रमाण ठा. उ. ३सू५५५, सम ७ ठा. ८उ ३ सू. ६ ०७ ठाउ ३ ५५५, सम. ७, तत्वार्थध्या ३ १० ६१८ ६ १५५ ज्ञा. ५५२ २ २६३ ५४८ २ २८८ ३१६ २७६ २६८ सात सेनापति शक्रेन्द्र के ५४१२ सात स्थानदुपमाजानने के ५३४ २ सातस्थान सुपमाजानने के५३५ २ २६६ सात स्थान स्थविरकल्प ५२२२२५१ १ सात स्वर मात श्रेणी ५४४ २ २८२ टा ७५८१, २५७३० सात संग्रहस्थान आचार्य ५१४२२४२ ठा.५ उ १ सू ३६६, ठा ७उ ३ तथा उपाध्याय के सू ५४८ सात संस्थान सात समुद्घात १८सू १३७, बृ. उ१नि. गा ६४०,गौ कु. ठा १सू ४७, ७ ३५४८ पन प ३६ सू ३३१, ठा. ७ सू ५८६, प्रवद्वा २३१गा १३१११३१६,द्रव्यलोस ३ १२४ ठा ७उ ३५८२ ठाउ ३ सू. ५४६ ठा ७३ ३ सू५५६ विशे गा ७ ठाउं ३५५३, अनुसू १२७ पश्न प २३सू २६२ ५४० २ २७० साता औरअसातावेदनीय ५६० ३६१ का अनुभाव आठ आठ प्रकार का १ इस बोल के अन्तर्गत जो इक्कीस मूर्छनाए छपी है उनके सम्बन्ध में पृष्ठ २६१ पर टिप्पणी देखो ।

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