Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 366
________________ ३१८ श्री मेठिया जैन ग्रन्थमाला विपय घोल भाग पृष्ठ प्रमाण सात प्रमाद प्रतिलेखना ५२१ २ २५१ उत्तम २६गा.२५ सात प्राणायाम ५५६ २ ३०२ यो प्रका ५,रा यो , छपी सात फल चिन्तन के ५०७ २ २३५ श्रा प्र.गा. ३६३ सातवातें छद्मस्थकंथविषय५२५ २ २६१ ठाउ ३८ ५६५ सातवातों से केवली जाना५२४ २ २६१ ठा.उ. ३ सू ५५ • जा सकता है सात बातों से छमस्थ जाना५२३ २ २६० टा७३ ३ सू ५५० जा सकता है सात बोल मूत्र सुनने के ५०६ २ २३४ विशे गा . ६५, मम ५ सात भंग ५६३ २४३५ सय .२.५ गा.१० १२टी., थागम मप्त रत्ना परि ४,स्या का सात भयस्थान ५३३ २ २६८ ठा ७३.३ सू ५४६, मम ७ सात मंद अविरुद्धानप ५५६ २ २१८ रत्ना परि.३६ -१०० लब्धि हेतु के सात भेद काल के ५५१ २ २६२ ज वन ' सू.१८ सातभेद विरुद्धोपत्नधि के५५५ २ २६६ रत्ना परि ३ सृ ८३.६१ सात भेदव्युत्सर्ग के ५५७ २ ३०० उब म २० सात महानदियाँ ५३८ २ २७० टा ७३ ३८.५५५ सात महानदियाँ ५३६ २ २७० टा७३ ३ स १५ सात मुलगोत्र ५४२ २ २७६ ठा.५३ ३ सू ५५ ॥ सात लक्षणा द्रव्य के ५२७ २२६३ विशे गा २८ सात वचन विकल्प ५५४ २ २६५ ठा ७ उ ३.४८४ सात वर्तमान अवसर्पिणी ५०९ २ २३८ ठा.७३ ३ सू.५५ ६,सम.." के कुलकरों की भार्याओं के नाम

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