Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 364
________________ . श्री सेठिया जैन प्रथमाला -~~mmmmmmon arrr. wwmar.mom amrrrrowr विपय बोल भाग पृष्ठ प्रमारण सात कुलकर आगामी ५११ २ २३६ ठा ७३.३ सू.५५ :, मम १५६ उत्सर्पिणी के सानकुलकरगतउत्सर्पिणीके ५१२ २ २३६ ठा ७उ ३ सू.३५ ६,मम १५७ सात कुलकर वर्तमान ५०८ २ २३७ ठा ७३ ३सू.५५ ६, सम १५५ श्रवसर्पियी के जे भा २१.३६२ सात गणापक्रमण ५१५ २ २४४ ठा ७ उ ३ रसू ५४१ सात गाथा विनयसमाधि ५५३ २ २६३ दशम ६२.४ अध्ययन के चौथे उद्देशेकी सात नय ५६२ २ ४११ यनु सू १५२,प्रव द्वा.१२४ गा, ८४७,८४८,विशेगा २१८०. २२७८, रत्ना परि ७, तत्वार्थ चव्या १, गत अध्या ५-८, न्यायध्या ५,प्रागमनय, नय,नयविनयो पालाप, सात नरक ५६० २३१४ जी.प्रति.३ सू.६६.६१, प्रवदा १७२.१८४२.१.७,१४,१८, २५,३०,पन्न प २०,३४, प्रश्न म । सात निक्षेप अनुयोग के ५२६ २ २६२ विशे.गा.१३८५-१३६२ सान निहन ५६१ २ ३४२ विशे गा २३.०.२६२०,श्राव है य १गा ७७८७८८,भग उ.१,मश.६उ ३३म सू.५८७ सातपंचेंद्रियरत्नचक्रवती के५२८ २ २६५ या ७ ३३ मु.५५७ सात पसाभास सात पदवियाँ सात पानपणा ५२० २ २५० ( भाचागु २८ १ १२ ११ सात पिण्डपणा अधि.३श्लो २२टी पृ.४५ ५४६ २ २४१ रत्ना परि ६ सू ३८-४६ ५१३ २ २३६ ठा.३८.३ सू.१७७ टी. ५१९ २ २४० र सू६२ ठा.७३ ३५४५,५

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