Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 358
________________ ३१० विषय बोल भाग पृष्ठ समारोप का लक्षण और भेद १२९१ ८५ ४०१ श्री मेटिया जैन ग्रन्थमाला समास केन्द्र आदि सात द७१६ ३ समिति मनुसृ १३० २२ १ १६ उत्त अ २४ गा २ समितिकी व्याख्या और ३२३१३३०१म ५, ३.५ ४५७,उत्तम २८ गावि श्लो ४७५.१३० उसके भेद समुच्छिन्न क्रिया अमति २२५ १२१० मा हृय ४ध्यानगतगा पाती शुक्लध्यान १ प्रमाण रत्ना परि १, न्यायप्र.मध्या ३ समुच्छेदवादी समुद्रान कर्म समुद्यात नारकी जीवों में ५६०२३३८ जी प्रति समुद्घान सात ५४८ २ २८८ प सम्मत सत्य टाउ १ २४७, ज्ञान. प्रक. ४२, कभी २ श्री २१७ ठा' उस ६०७ ५६१ ३ ६४ ७६० ३ ४४२ श्राचा. म २३ १निगा १८३ ममुद्देशानुजाचार्य समुद्रपाल गुनि ८१२ ४ ३८५ उत्त य. २१ समुद्रपालीयम की गाथाएं७८ १ ४ २५५ उन म,२१गा १३-२४ समूह प्रत्यनीक ३३६ सम्पदा आठ सम्भोगवारह 1 ३६३३१, टा ७ भू ५८ प्रवद्धा २३१गा १३११ १३१६,ब्र्यलोस ३११२४ ३४१ १३५२ व यमि उरलो. ६वी पृ.१२ ४४५ २ ५० ५७४ ३ ११ ७६६ ४२६२ दादा,३६० निशी उसम १२, व्यव.भ उ !भाव्य गा ४०-५० ६६८ ३ २६८ १०७४१११११३ १६५, धथवि लो ४१० Q १ की वाचना देने वाले गुरु के न होने पर को स्थिर परिचित करने

Loading...

Page Navigation
1 ... 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403