Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 356
________________ ३०८ श्री संठिया जैन ग्रन्थमाला विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण सपर्यवसित श्रुत ८२२ ५८ नं सू ४३, विशे गा ५३७.६४८ सप्तभंगी ५६३ २ ४३५ सय २५.५मा १०-१२ टी. पागम.,रत्ना परि-४,स्या का.२३,सप्त. सप्तमासिकी मिक्खुपडिमा७६५ ४ २८६ सम.१२,भ श.२उ १सू.६३ टी, दशा द.५ सप्त स्वर सीभर ५४० २ २७४ अनुसू.१२७गा ४६-५०,ठा.७ सप्रदेशीयप्रदेशीके१४वोल४१ ५ ३४ भश उ.४ सृ.२३८ सभिक्खु प्र०की२१ गाथाह१६ ५ १२६ दश अ.१० सभिवरव अ० की१६गाथा ८६२ ५ १५२ उत्त भ.१५ सम (समकित का लक्षण) २८३ १ २६३ ध अघि २श्लो २२टी.पृ.४३ समकित २१ २ प्रवद्वा.१४६गा.६४२,तत्त्वार्थ, अध्या १,पंचा.१गा३ समकित की छ:भावना ४५४ २ ५८ प्राद्धा.१४८गा६४०,ध.अधि. २श्लो .२ टी.पृ.४३ समकित की तीन शुद्धियां ८२ १६० प्राहा १४८ गा ६३२ समफित के छः प्रागार ४५५ २ ५८ उपाय १८,याव ह.भ.६ ८१०,ध मधि.२श्लो २२टी पृ४१ समकित के छ: स्थान ४५३ २ ५७ धप्रवि श्लो २२ टी.पृ.४६, प्रवद्वा.१४८ गा.६४१ समकित के तीन लिंग ८१ १ ५६ समकित के दो प्रकार से तीन ८० १ ५८ ग्लो.६६८-६७०, अधि २ ग्लो २२ टी पृ.३६, प्रव द्वा. १६गा ६४३-६४५,कर्म मा. १गा ५४ा .प्रगा.४६.५. :गा.६२६

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