Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 316
________________ २६८ श्री मेठिया जैन भव्यमाला विषय “बोल भाग पृष्ठ , प्रमाण रस वाणिज्जे कर्मादान ८६० ५ १४५ उपाय १सू ७,भग.. 30,भाव हम ६१८२६ राग द्वेषविषयकदसगाथाएं९६४.७ २३३ राग वन्धन २६ १.१८ ठा २२,४ १६६ रान कथा चार १५२ १ ११० ठा.४३ २ २८२ राजस्थासे होनेवालीहानि १५२१ १११ टा ४३ २०८२ टी. १ राजपिण्ड कल्प ६६२ ३ २३७ पंचा १७गा २०-२२ राजमती रहने मि की कथा७७१ ४ १० दशा २ टी. गजमती सती । ८७५ ५ २४६ दाय त्रि.प.५८, उत्तम.२२, राजगनी (न्य श्रीजाहिरानाय) राजा की ऋद्धि के तीन भेद १०१ १ ७१ टा ३३ ८ र१.२१८ गजाकेसन्तःपुरंगमाधुक३३८ १३४८ टा. १४१५ प्रवेश करने के पाँच कारण राजाभियोग शागार ४५५ २ ५६ जाग.८,भाय. घ.६.५ ८१.,परि.२ २०५४ राजावग्रह ३४ १ ३४४ भग.१३५ १५.११. १८१, माना." म. राजा श्रेणिक के कोप का ७८०४ २५३ मा7 P.गा १३१, पृ.माटर दृष्टान्न भाव अननुयोग पर निगा १४० गत्रिभाजनात्यागपरगाथाहह ७ १८४ ...... ~~~ ... . ... .. माह में याागरिकलेने के लिए बताया गया गायुगमायानगंगा • चार लागिने अंत्र को उपर दवए गामी is TEAM

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