Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 341
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल समह, आठवाँ भाग २६३ विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण शिल्प स्थावर काय ४१२ १ ४३८ ठा ५उ १सू ३६३ शिल्पाचार्य १०३ १ ७२ रासू ७७ शिल्पार्य ७८५ ४ २६६ वृउ पनि गा.३२६३ शिवभूतिनामक वेंनिहव५६१ २ ३६६ विशे गा.२५५०-२६०६, कामतशंकासमाधानसहित या ७उ ३सू ५८५ शिवराजर्षि(लोकभावना) ८१२४ ३८७ भश ११उ सू ४१७-४१८ शिवा सती ८७५ ५ ३४६ प्राव ह.श्र नि गा १२८४ शीत योनि ६७ १४८ तत्त्वार्थ प्रध्या २,ठा.३सू १४० शीतलेश्या लब्धि ६५४ ६ २६७ प्रब द्वा २७०गा १४६४ शीतोष्ण योनि ६७ १ ४८ तत्त्वार्थ अध्या २,टा ३सू १४. शील की नववाड़ ६२८३ १७३ ठाउ ३सू ६६३, सम ह शील की बत्तीस उपमा ६६४ ७ १५ प्रश्न धर्मद्वार ४ सू २७ शील के अठारह भेद ८६२ ५४१० सम १८,प्रवद्धा १६८गा.१०६१ शील धर्म १६६ १ १५५ ध अवि २श्लो २८टी ६६ शील पर सोलह गाथाएं ६६४ ७ १७७ शुक्लध्यान २१५ १ १६६ सम ४, ठा ४ उ १ सू.२४७, यागम क भा २'लो २११ शुक्लध्यान के ४ पालम्बन २२७ १ २११ ठा ४उ १सू २४७,प्राव ह ४ ध्यानशतक गा ६६, उव सू २० शुक्लध्यान के चार भेद २२५ १ २०६ श्राव ह स ४ध्यानशतक गा७७ ८२,ठा ४उ १सू २४७,ज्ञान प्रक. ४२, कभा २'लो.२११-२१९ शुक्लध्यान के चारलिंग २२६ १ २११ याव इ अ.४ ध्यानशतक गा. पृ.६०६, ठा.४ उ १सू२४७, भ.स २५ उ.७ सू.८०३

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