Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 350
________________ ३०२ विषय संयम संगम (श्रमण धर्म) श्री सेठिया जैन मन्थमाला www संयम आठ संयम की विराधनादस संयम के चार प्रकार संयम के सत्रह भेद घोल भाग पृष्ठ प्रमाण ३५१ १ ३६६ ठा. सू ३६६, प्रवद्वा ६६ गा. ५५४, ध.अधि. ३ श्लो ४६ टी पृ. १२७ ६६१ ३ २३४ नत्र.गा २३, सम १०, शा भा. १ संवत्सर पाँच संबर के बीस भेद संवर के सत्तावन भेद प्रक संवर भावना तत्वार्थ मध्या सू. ६ भ श २४३.७,ठा १० सू ७३३ ठा ४ उ २ सु३१० मम १७, आव ह अ ४१.६५१० प्रवद्वा. ६६गा ५५६ प्रवद्वा ६६ मा ५५५ ठा ५.२सू ४२६-४३० कर्म भा. ४मा १२ अनुमू १३० पिनिगा ६३६-३७, ध अधि ३ श्लो ३४५, उत्तम. २४गा. १२टी. २ २२३ ठा ४ उ १ सू. २६३ २५७ टा १०३. ३८.७३८ ५७३ ३ ११ ६६६ ३ २५२ १७६ ११३४ ८८४ ५ ३६३ संयम के सत्रह भेद संयम पॉच ८८५ ५ ३६५ २६८ १२८४ संयम मार्गणा और भेद ८४६ ५५८ संयोग नाम ७१६ ३ ३६६ " संयोजना दोप ३३० १ ३३६ संयोजना प्रायश्चित्त २ संरक्षणोपघात २४५१ ६६८ ३ संरम्भ ६४ १ ६७ संलेखना के पाँच अतिचार ३१३ १ ३१४ A टा ३३. ११२४ उपाभ. १.७, घ अधि. २श्लो. ६६ टीपृ२३. ४०० १४२४. ५ ६०८ ६ २५ १०१२७२८० ४६०, प्रयद्वा १४२गा ६०१ नत्र गा.२०, ठासू ४१८, ४२७, ट १०३. ३ ७०६, प्रश्न नरद्वार, सम. ५ १ मांडला का एक दोष, रसलोलुपता के कारगा एक द्रव्य का दूसरे द्रव्य के साथ संयोग करना । २ परिग्रह से निरृत्त साधु का वस्त्र पात्र तथा शरीरादि में ममत्व होना ।

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