Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 351
________________ श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह,पाठवा भाग विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण संवर तत्त्व के बीस और ६३३ ३ १८४ । सत्तावन भेद संवर दस ७१० ३ ३८५ टा १०३ ३सू ५०६ संवर पाँच २६६ १ २८५ ठा. सृ ४१८, ४२७, प्रश्न. सवर द्वार ५, संवर भावना ८१२ ४ ३६८, गाभा २प्रक ८,भावना, ज्ञान ३८६ प्रक २, प्रव.द्वा ६७ गा.१७२, तत्त्वार्थ अध्या ६ सूप संवृतबकुश ३६८ १ ३८३ ठा. उ ३ स ४४५ संत योनि ६७ १ ४८ | तत्त्वार्थ मध्या.२सू ३३,ठा ३ संत विकृत योनि ६७ १ ४८ । उ १ सू.१४० संवेग २८३ १ २६४ ध.प्रधि २ लो २२टी पृ.४३ सवेगनीकथाफीव्याख्या,भेद१५६ १ ११४ ठा ४उ २सू २८२ संशय १२१ १८५ रत्ना परि.२,न्यायप्र अध्या.३ संशय दोप ५६४ ३ १०४ प्र.मी.अध्या या १ स ३३ संशद्ध ज्ञान दर्शनधारी ३७१ १ ३८६ ठाउ ३सू ४४५,भ श.२५३६ अग्दिन्त जिन केवली स७४१ संसक्त ३४७ १३६२भाव ह स ३नि गा ११०७.११०८ पृ १६,प्रवद्धा २गा ११६.१२. संसक्त तप . ४०५ १ ४३२ उत्तम ३६,प्रवद्वा ७३गा ६४, संसार की लवण समुद्र ६७६ ३ २६६ के साथ दस उपमा ससार भावना ८१२ ४ ३६०, गा.भा.१ प्रक.३,भावना , शान. ३८० प्रक.२,प्रव द्वा.६७,तत्त्वार्थ प्रध्या..

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