Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 321
________________ श्री जेन सिद्धान्त बोल संग्रह, आठवाँ भाग विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण लेश्या नारकी जीवों में ५६० २३२१ जी प्रति ३.८८, प्रयद्वा १७८ ७४६ ३ ४२७ टा १०३ ३ ७१३, पन्न प १३ लेश्या परिणाम लेश्या मार्गरणा और भेद ८४६५८ . भा४गा. १३ ८४५ ५ ५३ लोक का नक्शा लोककानक्शावनानेकी विधि८४५५ ४८ लोक का संस्थान ८४५५ ४७ लोक की व्याख्या औौरभेद ६५ १४५ लोककीव्यवस्था४प्रकार २६७ १२४७ ८४५५ ४६ लोक के भेद लोक चौदर राजू परिमाण ८४५५ ४५ २७३ प्रवद्वा १४३ गा. ६०६-६०७ तत्त्वार्य अध्या ३६, प्रवद्वा १४३गा. ६०५ लोक भा रस १२, मश ११ १० सू ४२० ४ उ.२ सू २८६ तत्त्वार्थ प्रध्या ३ सृ.६ टी प्रवद्वा १४३ मा ६०२-६१७, तत्वार्थ अव्या. ३ सू. ६ टी, भ ६०२६, भग.१३ उ४ सू ४७६ ४८० लोक निराकृत साध्य धर्म ५४६ २ २६१ राना परि ६.४४ विशेषण पक्षाभास १ लोकपाल लोक भावना ७२६ ३ ४१६ तचार्य मध्या४ सूत्र ८९२ ६ ३७० शा मा ११, भावना ज्ञान. प्रका ६७ ना ४७३, तत्वार्य. अध्या६ ७ लोक में अन्धकार कितने ६१ ६ १५६४३२४ कारणों से होता है? १ मीना (नर) को राजपाला है।

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