Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 313
________________ श्री जैन सिद्धान्त मोल, संग्रह, पाठवाँ भाग . विषया बोल भाग पृष्ठ प्रमाण यतनाकेविषय में३ गाथा १६४ ७ १६५ यतिधर्म दस - ३५०, १ ३६४, [ ठासू ३६६,ध.अधि.३ . श्लो ४६पृ १२७,प्रव द्वा ६६ ३५१ . ३६६ / गा.५५४ । यति धर्म दस ६६१ ३ २३३नव गा २३,सम १०,शा.भा. १८ यथाख्यात चारित्र ३१५ १३२१ ठा ५उ २ सू ४२८ मनु सू १४४, विशे या १२६०-१२८० यथाच्छन्द साधु ३४७ १ ३६३ श्राव ह श्र.३ नि गा ११०७.८ । पृ८१६,प्रव द्वा २गा १२१-१२३ यथा प्रवृत्तिकरण । ७८ १ ५५ श्राव म.गा १०६-१०७टी, विशेगा.१२०२.१२१८,प्रव । द्वा २२४गा १३०२टी, कम भा २गा व्याख्या ,प्रागर्म, यथालन्दिक कल्प ' ५२२.२ २५६ विशे गा." यथा सूक्ष्म कुशील ३६६ १ ३८४ ठाउ ३ सू ४४५ यथा मूक्ष्म निग्रन्थ । ३७० १ ३८६. टाउ, ३ सू ४४४ यथा सूक्ष्म पुलाक ३६७ २ ३८२ टास् ४४५, म श २५उ ६ यथा सूक्ष्म वकुश . ३६८ १ ३८३ ठा ५उ ३ मृ.४४५ यम ६०१ ३ ११५ यो,रा यो याथातथ्य स्खम दर्शन •४२१ १ ४४४ भ.स १६ ३ ६सू ५७७ यावत्तावत् संख्यान .७२१ ३ ४४५ ठा १०३ ३सू ७४७ युग संवत्सर की व्याख्या ४.० १ ४२५ ठा ५३ ३ ४६० ,प्रब द्वा १४२ और उसके पांच भेद गा ६०१ युग्म नारकी जीवों में ५६० २ ३४१ भरा १८उ ४ सू.६२४ योग आश्रव २८६ १२६६ टा.५२ २ सू ४१८,सम.५

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