Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 300
________________ २५२ श्री सेठिया जैन मन्यमाला विषय बोल भाग पृष्ट प्रमाण मनुष्य भव की दुलभता के६८० ३ २७१ उत्त.प्र.३नि गा १६०,भाव है. दस दृष्टान्त निगा८३२३४० मनुष्य संमूर्छिम के चौदह ८२६ ५ १८ पन०प ११ ३५, प्रनु सू १३३ उत्पत्ति स्थान १६६ मनुप्यसम्बन्धीउपसर्गचार२४१ १ २११ ठा ४३६१,सूय म ३२.12ी मनोगुप्ति १२८ख १ ६२ उत्त.अ २४, टा.३मृ २१६ मनोयोग १५ १६८ ठा ३स १२४,नत्वार्थ यध्या.६ मनोरथ तीन श्रावक के ८८ १६४ टा ३३.४ .२१० मनोरथ तीन साधु के ८६ १६४ टा.३ ३ ४ सू २१० मन्त्र दोप ८६६ ५ १६५ प्राद्वा ६७गा ४६८,मधि : ग्लो ४०,पिनिगा ८.६, पियि.गा १६,पना.१३गा १६ मन्दा अवस्था ६७८ ३ २६७ ठा १०२ ३ ४७२ मयूराण्ड और सार्थवाह की८२१ ४ ४५६ नापद गा १८टी. गम्यस्त्याकथासम्यक्त्वमशंकाकेलिए विकार,शाम मरण के दो भेद ५३ १ ३१ उत. गा. मरण( वाल)के बारदभेद ७९८४ २६८ भग... १६१ मरण के सत्रह प्रकार ८७६५ ३८२सम.१७,मादा ११ गा.१०.६ मरण भय ५३३ २ २६८ ७३.३ १४.सम , मरण समाहि पाण्णा ६८६ ३ ३५५ द०१० मयोदायबीस बोलों की ४३ ६ २२५ उपा.TE, शा.नि." मधिगली. १८० मल्लिनाथ याटि एक माथ ५४३ २ २७७ ला ७३५६४ दीक्षा लेने वाले मान मल्लिनाथ भगवान और उन ४३ २ २७७ ८.५3306 केदा माथियों का पूर्वभव

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