Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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( २० ) पूर्वज कितने विज्ञान कोविद थे और विमानादि अनेक कलाओं के बनाने में अत्यन्त निपुण थे । विज्ञान प्राप्ति के कई ढंग व मार्ग हैं। यह आवश्यक नहीं कि जिस प्रकार से पश्चिमी विद्वान् जिन तथ्यों पर पहुँचे हैं वही एक विधि है। हमारे पूर्वजों ने अधिक सरल विधियों से उतनी ही योग्यता प्राप्त की जितनी आजकल पश्चिमी ढंग में बड़े-बड़े भवनों व प्रयोगशालाओं द्वारा प्राप्त की जा रही है। इसलिये हमारा एतद्देशीय विद्वानों तथा विज्ञानवेत्ताओं से साग्रह सविनय अनुरोध है कि अपने पुराने प्राप्त साहित्य को व्यर्थ व पिछड़ा हुआ ( Out of date ) समझ कर न फटकारें वरन् ध्यान तथा आन्वेषिकी दृष्टि तथा विश्वास से परखें। हमारी धारणा है कि उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा और बहुमूल्य आविष्कार प्राप्त होंगे।
-डा० एस० के० भारद्वाज
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