Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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नवां प्रकरण
ज्योतिष
ज्योतिष विषयक जैन आगम ग्रन्थों में निम्नलिखित अंगबाह्य सूत्रों का समावेश होता है :
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१. सूर्यप्रज्ञप्ति, २ . चन्द्र प्रज्ञप्ति, ' ३. ज्योतिष्करण्डक, ' ४. गणिविद्या । "
ज्योतिस्सार :
ठक्कर फेरु ने 'ज्योतिस्सार' नामक ग्रंथ' की प्राकृत में रचना की है। उन्होंने इस ग्रंथ में लिखा है कि हरिभद्र, नरचंद्र, पद्मप्रभसूरि, जउण, वराह, लल्ल, पराशर, गर्ग आदि ग्रंथकारों के ग्रंथों का अवलोकन करके इसकी रचना ( वि. सं. १३७२-७५ के आसपास ) की है ।
चार द्वारों में विभक्त इस ग्रंथ में कुल मिलाकर २३८ गाथाएँ हैं । दिनशुद्धि नामक द्वार में ४२ गाथाएँ हैं, जिनमें वार, तिथि और नक्षत्रों में सिद्धियोग का प्रतिपादन है । व्यवहारद्वार में ६० गाथाएँ हैं, जिनमें ग्रहों की राशि, स्थिति, उदय, अस्त और वक्र दिन की संख्या का वर्णन है । गणितद्वार में ३८ गाथाएँ हैं और लग्नद्वार में ९८ गाथाएँ हैं । इनके अन्य ग्रंथों के बारे में अन्यत्र लिखा गया है ।
१. सूर्यप्रज्ञप्ति के परिचय के लिए देखिए – इसी इतिहास का भाग २, पृ०
१०५-११०.
२. चन्द्रप्रज्ञप्ति के परिचय के लिए देखिए वही, पृ. ११०
३. ज्योतिष्करण्डक के परिचय के लिए देखिए -भाग ३, पृ. ४२३-४२७. इस प्रकीर्णक के प्रणेता संभवतः पादलिप्ताचार्य हैं ।
४. गणिविद्या के परिचय के लिए देखिए - भाग २, पृ. ३५९,
इन सब ग्रंथों की व्याख्याओं के लिए इसी इतिहास का तृतीय भाग देखना चाहिए ।
५. यह 'रत्नपरीक्षादिसप्तग्रन्थसंग्रह' में राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर से प्रकाशित है ।
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