Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 307
________________ २६६ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास पृष्ठ : ६६: 3:55 * पृष्ठ शब्द त्रिभुवनचंद्र १२३ दिगविजयमहाकाव्य त्रिभुवनस्वयंभू दिणसुद्धि १६८ त्रिमल्ल १२२ दिनशुद्धि त्रिलोचनदास ५५, १४९ दिव्यामृत २२७ त्रिवर्गमहेंद्रमातलिसंकल्प २३९ ।। दीक्षा-प्रतिष्ठाशुद्धि त्रिविक्रम ७०, ७२, १४२ दीनार २४८ त्रिशतिक १६२ दीपकव्याकरण ४, २३ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दीपिका त्रैलोक्यप्रकाश १८४ दुद्दक त्र्यंबावती १८२ दुगदेव १९१, २०२, २२२ दुर्गपदप्रबोध दुर्गपदप्रबोध-टीका थावच्चाकुमारसज्झाय दुर्गपदप्रबोध-वृत्ति दुर्गवृत्ति दंडी दुर्गसिंह ३५, ५०, ५१ दत्तिल दुर्गाचार्य दत्तिलम् दुर्लभराज २०९, २१६, २५२ दमसागर दुविनीत दयापाल दयारत्न देवगिरि दर्शनज्योति देवचंद्र दशनविजय देवतिलक १८५ दशमतस्तवन ४३ देवनंदि ५, ७, ८, २२७ दशरथ ८०. २२७ देवप्रभसूरि दशरथगुरु देवबोध १०४ दशरूपक देवभद्र दशवैकालिक देवरत्नसूरि दानदीपिका देवराज दानविजय २७ देवल १७० दामनंदि २२२ देवसागर दिगंबर १५७ देवसुन्दरसूरि * * * * १५५ १५६ १३४ देव १४:४६४१६४६०४३ २२५ ८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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