Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
View full book text ________________
२८०
जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
९०
१६
शब्द
Jट शब्द लावण्यसिंह १११ वसंतराज
१९६ लाहर
१३४ वसंतराजशाकुन-टीका लाहौर
वसंतराजशाकुन-वृत्ति लिंगानुशासन २१, २३, २९, ३९, वसुदेव ८३, ८६ वसुदेवहिंडी
__९८, २३७ लीलावती
२०३ वसुनंदि लूणकरणसर
वस्तुपाल १०९, १११, १२५ लेखलिखनपद्धति
१२७ वस्तुपाल-प्रशस्ति लोकप्रकाश
वस्तुपालप्रशस्तिकाव्य ११० वस्त्र
वाक्यप्रकाश बंशीधरजी
वाग्भट १०५, ११५, १३७, २२९, वक्रोक्तिपंचाशिका
२३४, २३५ वग्गकेवली
२०६
वाग्भटालंकार ९९, १०५, ११६ वज्र
वाग्भटालंकार-वृत्ति वज्रसेनसूरि
१४९
वाघजी वनमाला
१८४ वाचस्पति
७७, ८२, ८६ वरदराज
वादार्थनिरूपण वरमंगलिकास्तोत्र
१२१
वादिपर्वतवज्र वररुचि ४, १५०. २२८
बादिराज २०, १०८, ९१६ वराह
१६७
वादिसिंह वराहमिहिर १६८, १७१, १९१, १९५ वर्गकेवली
वामन २०६
४८, ९७, १२४, १२५ वाराणसी
२०६ वधमान वर्धमानविद्याकल्प १६६, १७०
वासवदत्ता-टीका वर्धमानसूरि १८, २०.२२, २३. वासवदत्ता-वृत्ति अथवा व्याख्या४८, १०८, १३३, १३७,
टीका १२६ १९८, २१०
२०६ वर्षप्रबोध ४३, १७२, १७९ वासुदेवराव जनार्दन कशेलीकर ८४ वल्लभ
३९, १६२ वास्तुसार वल्लभगणि
वाहन
१
१६२
वासुकि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336