Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
View full book text
________________
पचीसवाँ प्रकरण
मुद्राशास्त्र
द्रव्यपरीक्षा :
श्रीमालवंशीय ठक्कुर फेरू ने वि० सं० १३७५ में 'द्रव्यपरीक्षा' नामक ग्रंथ की अपने बन्धु और पुत्र के लिये प्राकृत भाषा में रचना की है।
'द्रव्यपरीक्षा' में ग्रन्थकार ने सिक्कों के मूल्य, तौल, द्रव्य, नाम और स्थान का विशद परिचय दिया है। पहले प्रकरण में चासनी का वर्णन है। दूसरे प्रकरण में स्वर्ण, रजत आदि मुद्राशास्त्रविषयक भिन्न-भिन्न धातुओं के शोधन का वर्णन किया है। इन दो प्रकरणों से ठक्कुर फेरू के रसायनशास्त्रसम्बन्धी गहरे ज्ञान का परिचय होता है। तीसरे प्रकरण में मूल्य का निर्देश है । चौथे प्रकरण में सब प्रकार की मुद्राओं का परिचय दिया हुआ है। इस ग्रन्थ में प्राकृत भाषा की १४९ गाथाओं में इन सभी विषयों का समावेश किया गया है।
भारत में मुद्राओं का प्रचलन अति प्राचीन काल से है। मुद्राओं और उनके विनिमय के बारे में साहित्यिक ग्रंथों, उनकी टीकाओं और जैन-बौद्ध अनुश्रतियों में प्रसंगवशात् अनेक तथ्य प्राप्त होते हैं। मुस्लिम तवारीखों में कहीं-कहीं टकसालों का वर्णन प्राप्त होता है। परन्तु मुद्राशास्त्र के समस्त अंगप्रत्यंगों पर अधिकारपूर्ण प्रकाश डालनेवाला सिवाय इसके कोई ग्रंथ अद्यावधि उपलब्ध नहीं हुआ है। इस दृष्टि से मुद्राविषयक ज्ञान के क्षेत्र में समग्र भारतीय साहित्य में एक मात्र कृति के रूप में यह ग्रन्थ मूर्धन्यकोटि में स्थान पाता है। __छः-सात सौ वर्ष पहले मुद्राशास्त्र-विषयक साधनों का सर्वथा अभाव था। उस समय फेरू ने इस विषय पर सर्वोगपूर्ण ग्रंथ. लिख कर अपनी इतिहासविषयक अभिरुचि का अच्छा परिचय दिया है।
ठक्कुर फेरू ने अपने ग्रंथ में सूचित किया है कि दिल्ली की टकसाल में स्थित सिक्कों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्तकर तथा मुद्राओं की परीक्षा कर उनका
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org