Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 299
________________ २५८ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास ४५ पृष्ट शब्द कल्याणकारक २२६, २२८, २३१ कातंत्रदीपक-वृत्ति कल्याणकीर्ति ८१ कातंत्रभूषण कल्याणनिधान १७७, १८८ कातंत्ररूपमाला कल्याणमंदिरस्तोत्र-टीका ९१ कातंत्ररूपमाला-टीका कल्याणमल्ल _९२ कातंत्ररूपमाला-लघुवृत्ति कल्याणवर्मा १८२ कातंत्रविभ्रम-टीका कल्याणसागर ४५, ५८, १९५ कातंत्रविस्तर कल्याणसागरसूरि ८४ कातंत्रवृत्ति-पंजिका कल्याणसूरि कातंत्रव्याकरण कविकंठाभरण ११३ कातंत्रोत्तरव्याकरण कविकटारमल १५३त्यायन ५०,७७, १४६ कविकल्पद्रुम कादंबरी (उत्तराध) टीका १२६ कविकल्पद्रुम-टीका ३७ कादंबरी-टीका कविकल्पद्रुमस्कंध ४५, ११९ कादंबरीमंडन कवितारहस्य १११ कादंबरीवृत्ति कविदर्पण १४८ कामंदकीय-नीतिसार कविदर्पणकार कामराय कविदर्पण-वृत्ति १४९ कामशास्त्र कविमदपरिहार १२१ काय-चिकित्सा २२७ कविमदपरिहार-वृत्ति १२१ कायस्थिति-स्तोत्र कविमुखमंडन १२१ कालकसंहिता कविरहस्य ११३ कालकसूरि २१९ कविशिक्षा ९४, ९८, १००, १०८, कालशान २०६ ११०, ११३, ११७ कालसंहिता कविसिह कालापकविशेषव्याख्यान कश्मीर कालिकाचार्यकथा कहारयणकोस कालिदास कहावली २३, २००,२०६ काव्यकल्पलता ९१, ११३ कांतिविजय १५१ काव्यकल्पलता-परिमल काकल काव्यकल्पलतापरिमल-वृत्ति ११४ काकुत्स्थकेलि ११० काव्यकल्पलतामंजरी १४१ २२७ द १६८ १२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336