Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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महाप्रत्याख्यान
धीरत्वपूर्ण मृत्यु ही श्रश्रेष्ठ है। प्रत्याख्यान का सुविहित व सम्यक पालन करने वाला मरकर या तो वैमानिक देव होता है या सिद्ध :
धीरेणवि मरियव्वं काऊरिसेण विवस्स मरियव्वं । दुण्हपि य मरणाणं वरं खु धोरत्तणे मरिउं ॥ १४१ ॥ एयं पच्चक्खाणं अणुपालेऊण सुविहिओ सम्म।। वेमाणिओ व देवो हविज अहवा वि सिज्झिज्जा ॥ १४२ ।।
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