Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 424
________________ अनुक्रमणिका २७३ पृष्ठ पातंजलि ३१९ पारराचिक २६१,२९६,२९८ पातिमोक्ख पारावत पात्र ७०,२०७,२०९,२४६,२८४ पारासर पात्रकेसरिका पारिणामिकी ३१२,३१६ पात्रबंध २०९ पारिप्लव पात्रमुखवस्त्रिका २०९ पारिहारिक २६१ पात्रलेखपिंड २०७ पारी पात्र स्थापन २०९ पाव २२७ पात्रीस्थाल पार्श्वनाथ ३७,५४,१३५,१६६,२२९ ४,३३२ पार्श्वभूल पाद-कांचनिका पार्थापत्य पादकेसरिका २५१ पालंब ५,४० पादजाल पालक ८७ पाद-छेदन २२३ पालित १६३ पादपोंछनक २५१ ८६ पादशीर्षक ४४ पावा १४ पादांत पाश पादुका पाश्वोदालन २२३ पादोपगमन ३५० पासणया १०० पानक ७२ पासय पानदान १७ पिइय पानीय ७२ पिउसेण कण्ह पाप पिउसेणकृष्णा पापश्रमणीय १६० पिंगलक ... १२३ पापसूत्र पिंगलायण पापस्थानक पिंगायण पापा पिंड १९५,२०१,२०७,२४४,३२८ पायहंस . ८९ पिंडग्रहण-प्रतिमा पायासि ५३ पिंडनिजुत्ति पारस १८,९० पिंडनियुक्ति - १४३,१९५ ९४ पिंडवर्धन पाववल्ली २७ १६९ १३० १६९ २९१ पारसी २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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