Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 423
________________ ७९ ८९ -२४७ ८५ ७३ ८५ परिमंथ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास सब्द पृष्ठ पृष्ठ परमाधार्मिक १६९ पर्याप्तक परस्पर पर्याय पराजिक पर्युषण २८१ परासर पर्युषणाकल्प २१८, २२६ परिकर्म ३२१ पर्वक परिचारणा १०१ पर्वग ६८, ८९ परिग्रह १६९ पर्वतमह परिग्रह-विरमण १८३ पल परिणतापरिणत ३२१ पलाश परिणाम पलास परिपूर्णांक ३०६ पल्योपम ११६, ३२५, ३२९, परिभाषा पवित्तय २६ २५३ पञ्चपेच्छइण परिली पन्चय परिवर्तना पश्यत्ता परिवर्तित १९६ पसय परिवासिल पसेनदि परिव्राजक २४, १८५ पहराइया परिष्कार २०९ पहलवान परिष्ठापनिका २०९ पहेलिय परिहारकल्प २४९,२५१,२५९,२६० पहेली परिहारविशुद्धि पहव १८, ९० परिहारविशुद्धि-चारित्र ३३७ पांचांगुलिका परिहारस्थान २७८ पांचाल परीतानंतक ३३८ पांडुक १२३,१२५ परीतासंख्येयक : ३३८ पांडुरंग परीत्त ७९ पांशुवृष्टि ७४ परीषह १४६, १४८, १६९ पाटला परोक्ष ३०७ पाढा पर्पटमोदक पर्यस्तिकापट्ट . .. २५१ पाणी २५१ २०५ . .. ८६ ७१ पाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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