Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 451
________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास पृष्ठ शब्द सम्यक्त्व सम्यक्त्व-पराक्रम सम्यकश्रुत सम्यग्दृष्टि सयणविहि सयधणू सयरी सयवाइय .:: सरक्ख सरग सरगय सरड G ७ २४०. शब्द पृष्ट ९९,१६८ ससिहार सहस्रपत्र ३१८,३१९ सहस्रपाक ७९ सहस्रार २७ सहिणगकल्लाणग सहेट-महेट साएय साकेत ९१, २८० सागर ४८, ५५, ६७ सागरतरंग ४३, ४७. सागरोपम सागारिकपिंड २४४ २४९,२८३ सागारिकनिश्रा २४०. सागारिकोपाश्रय सादिश्रुत साधर्मिक २६० साधर्मिकस्तैन्य २४७ साधोपनीत साधिकरण ४२, ४७ साधु सानक सापराधदास साम सामलि सामवेद १२३ सामाचारी १६८, २२७ सामानिक सामान्यदृष्ट ३३५ सामायिक ९५, १६९, १७४, ३२० ३२० ३२६, ३२८, ३३७,३४० २४ सामायिक संयतकल्पस्थिति २५३ २६० २०. सरयू सरल सरसों सरागचारित्र सरागदर्शन सरावसंघुट सरोवर सर्प सर्पसुगन्ध सर्वकाल सर्वतोभद्र सर्वतोभद्रप्रतिमा सर्वधर्यो पनीत सर्वरत्न सर्ववैधोपनीत सल्लकी सल्लेखनाश्रुत ससग ससिहर २४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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