Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 449
________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास पृष्ठ ७३ शब्द षण्मासिक षण्मासिकी षष्ठितंत्र पृष्ट २१८ २६८ २४,३१९ शब्द संध्या संपक्खाल संपत्ति-हरण संपलितभद्र Www २२३ ३० संबर ४० mr mmm २०२ सउरुअ संकुचित संक्षेपरुचि संखडि संखधमक संखा संखायण संख्या संख्याप्रमाण संख्येय संख्येयक संगामिया संग्रह-परिज्ञा-संपदा संघ संघट्टा संघपालित संघाडी संपात संजय संजवन संज्ञाक्षर संज्ञिश्रुत संज्ञी संथारंग संथारा संधि संधिरक्षक संबाध ७२,२३१ संबुक्क १८७ संभिन्न २२ संभूतविजय २३ संभूति संभूतिविजय ३३७ संभोग २४८ संमूच्छिम ६८,३०९ ३२६ संयत ७९,१०१ ३३८ संयतीय १६० १३८ संयम २२१ संयूथ ३२१ २२९ संयोजना संरठ संलेखना ३६१ संलेखनाश्रुत संवत्सर ११०,११५,१२५,३२९,३३३ १६० संवत्सरप्रतिलेख २८,६३ संवत्सरी २८१ ३१८ संवर्तकवायु ३१८,३१९ संवास ७९,९६,१०१ संवेग संस्तारक २०४,२०६ संस्थान १०८,१०९ ४३,५० संस्तृतासंस्तृतनिर्विचिकित्स १२ संहृत ३६१ २४८ १६९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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