Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 453
________________ ૪૨૪ शब्द सुकण्ह सुकाल सुकाली सुकृष्ण सुकोशलि सुक्क सुगंधित सुघोषा सुत्तखेड सुदर्शना सुधर्म सुधर्मा सुधर्मा सभा सुनार सुपक्व सुपर्णकुमार सुपविर सुपार्श्व सुपास सुपिन सुभग सुभद्द सुभद्र सुभद्रा सुमणसा सुमति सुय सुट सुरप्रिय सुरादेवी Jain Education International पृष्ठ १३०,१३४ १३०,१३४ १३० १३० सुवर्णकार ३५५ सुवर्णकुमार १३४ सुवण्णजुत्ती ४६ २९ ८७ सुवण्णपाग ३२,२२९ ३०५,३०६ १९,१२९ ५२, ७७ ९३ ६९ ७४ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ૩૦ २२९ २२९ १५९ शब्द सुरापान सुराविकट सुवर्णं ८७,८८ १३४ १३४ १२,१८,१३६ ८६ ११६ ८६ ८८ १३८ १३७ सुविधिकोष्ठक सुव्रता सुषमा सुषमा - दुष्षमा सुषमा- सुषमा सुषेण सुसट सुस्थित सुप्रतिबुद्ध सुहबोहसामायारी सुहस्ती सुह्वा सूक्ष्म सूक्ष्मसं पराय सूक्ष्म संप राय- चारित्र सूचिक सूचिमुख सूची सूनक सूत्र सूत्रक सूत्रकृत सूत्रकृतांग सूत्ररुचि सूत्र वैकालिक For Private & Personal Use Only पृष्ट ૭૨ २४३. ६९,८४,३३१ १२०. ९५ २८ २९ 158 १३६ ११६ ११४, ११६ ११४, ११६ १२१ २९९ ३०६ ८ ३०५,३०६ ८५ ૭ ९५ ३३७ ૪૨ ८८. ५०,२१० ६३ ३२१,३२८ ૩. ३१९ १६९,२६९ ९५ ९३ www.jainelibrary.org

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