Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 444
________________ अनुक्रमणिका ४२५ पृष्ठ ११६ ३२० २७. ७ विद्युत् २६९,३२०. २९६ शब्द पृष्ठ बाब्द विदेह २४,९१,९२,१३३ विमत विदेहदिन्ना २२९ विमर्श विदेहपुत्त १३१ विमलवाहन विदेहपुत्र १२ विमान विद्या १५१, १९६ विमानरचना विद्याचरणविनिश्चय विरुद्ध विद्याधर ९१,११४ विरुद्धराज्य विद्याधरयुगल ४३ विलेवविहि विद्यानुप्रवाद ३२१ विवागसुय विद्यानुवाद १५१ विवाह ७४,८४ विवाहचूलिका विद्युत्कुमार ७४, ९५ विविक्तचर्या विद्युइंत विवेक विद्युन्मुख विशाखा विधवा २०,२०७ विशुद्धि विनमि १२३ विशेष विनय १४,१४७,१८९ विशेषदृष्ट विनय-पिटक २१५,२४१,२४७,२४८, विष्णु २७३ विस्ताररुचि विनयवादी विस्संभर विनय-समाधि १८९,१९० विहार विनीत २४८ विहारकल्प विनीता ११७,११९ विहारभूमि विपंची वीणा विपाकश्रुत ३१९ वीतराग विपुलमति ३१० वीतरागचारित्र विप्रजहत्-श्रेणिकापरिकर्म ३२१ वीतरागदर्शन ८६ वीतरागश्रुस विभाषा ३२५ वीतिमय विभीतक ८५ वीयकम्ह विभेल १३७ वीरंगय १०८,१०९,२२९ २०१, २१० ३३५ १०८,३०६ २०२ २४२ ९५ विभंगु १३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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