Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 445
________________ ४२६ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास . . . . शब्द वीरकण्ह वीरण वीरत्थव बीरभद्र वीरसेन चीरस्तव वीरासन वीरासनिक वीर्यप्रवाद धुच्चु वूह वृक्ष वृक्षमूल वृक्षारोपणमह वृत्तिसंक्षेप १२१ १४ पृष्ठ शब्द पृष्ठ १३०,१३४ वेय ८६ वेलंधरोपपात ३६३ वेलवासी ३४६,३५० वेलू १३८ वेष्ठनक ३६३ वेसायण २५१ वेहल्लकुमार १३२,१३३ १४ वैक्रियसमुद्घात ३२१ वैजयंत ८६ वैडूर्य ६९,८४ २९ वैताढ्य ११४,१२३,१२४ ५५,६८,८५ वैतान्यगिरिकुमार २४४ वैधोपनीत ७३ वैनयिकी ९४,३१२,३१५ वैमानिक ६८,७४,७८,९५ २१,३०६ वैयावृत्य १४,२६२,२६९ २९२ वैर ७४ ४२,४७,७०,१०९,११६ वैराज्य २४१ २२३ वैराट ७५ वैलंधरोपपातिक २६९ १२९,३२० वैशाली १४,३८,१३०,१३३,२२९ वैशेषिक ३३,३१९ वैश्यायनपुत्र २१ ४६ वैश्रमण ५५,१३६ वैश्रमणमह ७,७९,१६७,३१९ वैश्रमणोपपात __ ९२ वैश्रमणोपपातिक . २२३ वैश्रवण .१०१ वैषाणिक १७० वोडाल २६९ व्यंजन १५१ वृद्ध ८९ वृद्धवादी वृषभ वृषभ-पुच्छन वृषभासन वृष्णिदशा वैकच्छिय चेहग वेणु वेत्र घेद घेदंग वेद-छेदन वेदना घेदनीय वेदनीशतक ur , १६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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