Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 437
________________ ४१८ शब्द मोंद मोक मोक्षमार्गीय मोगरा मोगली मोग्गलायण मोचकी मोटिका मोहनगृह मोहनघर मोहनीय मोहनीयस्थान मौक्तिक मौखरिक मौर्यपुत्र मौष्टिक म्रक्षित म्लेच्छ यंत्रपीडक यक्ष यक्षीतक यक्ष-पूजा यक्ष - प्रतिमा यक्ष - मंडल यक्षमह यक्षसेन यक्षी यजन यजुर्वेद Jain Education International य पृष्ट ९० २५१ १६८ ८६ ८६ यथावाद १०८,१०९ यम ८५ यमुना ४३ यवन ७१ ७५ १७० २३० २५३ १९,२१ १०,३८,७३ १९७ १०, १२१ १२० ८८ यवान्न ५५,७४,७७,९५ शब्द यज्ञ ७४ ५२ ५२ ४८ ७ ३ २९२ ९४ ९३ २४ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास यदुकुल यथाख्यात चारित्र यथारात्निकवस्त्र परिभाजन यवनद्वीप यवनानी यवनी यत्रमध्य-चंद्रप्रतिमा यशस्वती यशस्वी यशोदा यशोभद्र यशोवर्द्धन यष्टि याजन याज्ञवल्क्यस्मृति यान यानशाला यानशालिक यावजीवन-बन्धन युक्तानंतक युक्ता संख्येयक युग युगलधर्मी युद्ध For Private & Personal Use Only पृष्ट ७३, १६७ १६५. ३३७ २४६ ३२१ १०८,१३६. २४९,२८३ १८,९०, १२१ १२१ ९३. ९४ १४,२६७ ७१ ૨૨૦ ११६, २२९ २२९ ३०५,३०६ २९२ २०९ ९३ ११७ ७३ १६ १६ ૨૨૨ ३३८ ३३८ ११५,१२५, ३२९, ३३३ ३५३ २६,७४ www.jainelibrary.org

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