Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 421
________________ ४०२ शब्द निषेध निष्कपट निष्कुट निष्पाव निसट निसढकुमार निसर्गरुचि निह्नव निह्नविकी नीप नीबू नीलपत्र नीलपर्वत नीली नूपुर नृतमालक नृत्य नेउर नेपाल नेम नेमिचंद्र नेमिनाथ नेल्लक नेहुर नैगमेष नैगमेषी नैमित्तिक नैरयिक नैषधिक नैसर्प न्यग्रोध Jain Education International पृष्ठ १२४ २८७ १२१,१२३ ८७, ३३१ १३७ १३८ ९५ ३२ ९४ ८५ ८५ ८८ १२४ ८५,८६ ७१ १२३ २७ ८८ ५३ शब्द न्याय ७९,८८ १४ १२३ ८५ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास पउम परमगुम्म पउमभद्द पउमसेण पएसी पओदलडि पओस पंकप्रभा पंचकल्प- चूर्णि पंचकल्याणक पंचज्ञान पंचनाम पंचमंगल पंचमासिक पंचयामधर्मप्रतिपन्न पंचयामिक पंचेंद्रिय पंचेंद्रियघात ४३,५० २९२ १६४ ६९ ९० १२५ १२५ पक्कण १५१ पक्कणिय पंडक पंडितमरण पंडुरत लहर्म्य पंडोला पक्खिकायण पक्खियसुत पक्ष पक्षवाह For Private & Personal Use Only ଦୃ ७ १३४ १३४ १३४ १३४ ५३ १६ ९० ६८ १५१ २१८ ३०३ ३३० २९१ २५८ २४९ २४९ ७८,८८ २९७ २४८ ३४७, ३६१ ८६ १८ ܘ १०९ १४४ ५०, ११५, ३२९, ३३३ www.jainelibrary.org

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