Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 419
________________ ८६ ur mr mr m Mmm mrm or m v m ० ० ७४ . २९ नवबल ९४ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शब्द पृष्ठ शब्द नक्षत्र ९५,१०५,१०६,२०८,१०९, नल ११०,१२५,३०६,३५९ नलकूबर १६५ नखवेदना नलिणिगुम्म नखहरणिका २१. नलिन ८७,११६,३२९,३३३ नगर ७२,२३८ नलिनांग ११५,३२९,३३३ नगररक्षक १२,१६,७२ नवणीच्या नगरदाह नवनाम नगरमाण नवनीत नगररोग नवनीतसार नग्नजित् नट १०,३८,७३,९३ नवमल्लिकामंडप नटी नवमालिका नट्ट नवरस नदी ३२५,३३० नवांतःपुर नदीमह नाई नपुंसक .. ६८,३५३ नांगोलिक नपुंसकलिंगसिद्ध ३११ नभचर ६८,८८ नाग ५५,७७,८५,३०६ नमस्कारमंत्र नागकुमार ७४,९५,१२२ नमि १२३,१५२,१६१ नागग्रह नमिप्रव्रज्या १५२ नागदंत नागपरिज्ञापनिका ३३७,३४१ नय नयद्वार ३४१ नागपरियापनिका नयनादि-उत्पादन २२३ नागपरियावणिआ नयप्रमाण नागप्रतिमा ५२ नयुत ११६,३२९,३३४ नागबाण नयुतांग नागमंडल नागमह नरक नागर नरवानिक' नागरी नर्तक १०,३८,७३ नागलता २८० २६९ १४ ४८ K .. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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