Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 417
________________ ३९८ शब्द देविंदrय देवी देवेंद्रस्तव देवेंद्रो पात देशी भाषा देहली दोकिरिया दोखुर दोगिद्धिदसा दोमिलिपि दोल दोवाली दोष दोसापुरिया दोहद दौष्यिक द्रविड़ द्रव्य द्रव्य आवश्यक द्रव्यप्रमाण द्रव्यार्थी द्राक्षासव द्राविडी द्रुत द्रुतनाट्य द्रुतविलंबित द्रुतविलंबितनाट्य द्रुमपत्रक द्रुम पुष्पिका द्रुमपुष्पित Jain Education International पृष्ठ ३६० ७९ ३२०, ३६० २६९, ३२० ३०, ६३ ५० ३२ ६८, ८९ ८ ९४ ८८ ७१ २१५ ९३ १३० ९३ १८,७१,९० १६८ ३२७ ३३१ १७ ६९ ९४ ४८ ४८ ४८ ४८ १५३ १४६ १८१ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शब्द द्रोणमुख द्रोणाचार्य द्रोणी द्वादशांग द्वार द्वारका द्वारपाल द्वारवती द्वारशाखा द्विकार्त द्विधा आवर्त द्विधाचक्रवाल द्विधावक्र द्विनाम द्विभागप्राप्त द्विमासिक द्विमुख द्विशाला द्वींद्रिय द्वीप द्वीपक द्वीपकुमार द्वीपसागर प्रज्ञप्ति द्वीपी द्वयाहिका धणंजय धणुब्वेय धनगिरि धनपति For Private & Personal Use Only ध पृष्ठ ७२,२३८ १० ३३१ ३१९,३२१ ११,३८,७१ १३८, १६४ १२ ९१,१३८ ५० ३२१ ८८. ४७ ४७ ३३० २६७ २५८ १६१ ७१ ७८,८८ ६७, १०६, १०७ १०९ ७४, ९५ ३२० ८९ ७४ १०८ २९ २०६ १५ www.jainelibrary.org

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