Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 415
________________ ३९६ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ७९, १०० पृष्ट शब्द १२ दर्वी ११६, ११७ दर्शन १०, ३८ दर्शन-आर्य २८ दर्शनार्य दर्शनगुणप्रमाण २५१ ___ दर्शनावरणीय दब्वहलिय दशनाम दशवैकालिक ३३४, ३३७ -tw ७५ १४३, १७९, ३२० २१ दशा ३५३ शब्द दंडनायक दंडनीति दंडपाशिक दंडलक्षण दंडायतिक दंडासन दंडी दंतकार दंतवेदना दंती दंतुक्खलीय दकतीरप्रकृत दकपिप्पली दक्षिणकूलग दगमट्टिय दग्धपुष्प दढरह दत्त दत्ति दधिपर्ण दधिपुष्पिका दधिवासुका दन्मिद दमनक दमिल दशार दशार्ण दशाणभद्र दशाश्रुतस्कंध १६९,२१५,२१६, २६९, ३२० १८१ १३७ २२५ दसकालिय दसधणू दसरह दसवेयालिय दहिवन्न दही दाडिम दायक दारुदंडक दावाग्नि-दग्धन दावात १९७ २५१ २२३ ददर दर्दरिका दर्पण १७, ४७ दास . ८६ दासी दर्भवर्तन १८, ६३ ७४ २२३ दाह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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