Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 425
________________ ४.६ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास १२९ ८८ १२९,१३४ ८८ २८ ६८,११६,३५३ २६२ ७८ १२९,३२० शब्द पिंडैषणा पिक्खुर पिथुड पिथुडग पिपीलिका पिप्पलक पिप्पलिका पियंगाल • पिरिपिरिका पिशाच पिसुप पिहित पिहुंड पीठमर्द पीपल पीलु पुंज पुंडरीक पुक्खरसारिया पुटक पुटभेदन पुट्ठा पुतली पुत्रंजीवक पुद्गल पुद्गलपरावत पुनवसु पुनभद्द पुन्नाग पुप्फचुलिआओ पुःफचूला पृष्ठ शन्द १८४,१८५ पुष्पचुलिया १२१ पुष्फ.टिय १६३ पुष्फिआओ १६३ पुफिया ८८ पुराण २१०,२७४ पुरिमताल ८५ पुरिसरवण पुरुष ४५ पुरुषलिंगसिद्ध ७४,९५ पुलाकभक्त ८८ पुष्कर १९७ पुरवरदीप १६३ पुष्करोद-समुद्र १२ पुष्प ८५ पुष्पचूलिका ८५ पुष्पनिर्याससार ३२८ पुष्पावलि ८७,९० पुषिका ९४ पुष्पोतर २१० पुष्य २३९ पुष्यगिरि ५२ पुष्य दैवत पुष्यमाणव पुष्यमानव पुलक ३२९ पुलाकिमिय १०८,१०९ पुलिंद १३४ पुव्वापोहवता पुस्तक पुस्मायण - १३७ पूगफली ४३,४७ १२९,३२० १०८,१०९ mor m १ ०.०७% ३१९ ८५ १८४ ६९,८४,८९ १८,९० १०८ १७,५२,७८ १०८ ८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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