Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 395
________________ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास शब्द पृष्ठ ६८,८९ २४९,२८३ ओ १४३,१९५,२०१ ८८ ४७ शब्द ऐरावती . ओघनियुक्ति ओट ओड्र ओदन ओष्ठ-छेदन ओहंजलिय ओहनिज्जुत्ति २५ ७१ .२२३ ....... ४७ औ ७ ३११ ३१२ २०६ १३ २६,१९६ ७,९,३२० ४८ "एकखुर एकतः आवर्त एकतश्चक्रवाल भएकनाम "एकमासिक एकलविहारी एकशाटिक एकतोवक्र एकशाला एकसिद्ध एकाकीगमन एकावलि एकावलिका एकावली एकाशन एकाहिका एकेंद्रिय एकोरु एकोरुक एरंड एलवालुंकी एलावच्च एलेक्जेंड्रिया एवंभूत (মগা एषणादोष औत्पत्तिकी औदारिक औद्देशिक औपपातिक औपयिक और्णिक औषध औषधि ७० २७४ ७४ २१० ६८,८५,८७ २४५ ६९ औष्ट्रिक ६ ९ my ८६ कक कंकण कंकोडी १२१ कंगू ३२१ कंगूया १९५,२०७ कंगूर १९७ कंचणिया कंचुक ८६ कंचुकी ९०,१०६,१२४,१२५ कंचुकीया ऐरावण ऐरावत १८,५५,६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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