Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 391
________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास . पृष्ठ ३१७ शब्द आभोगनता आम आमलकप्पा आमलगशरीर आमोद आम्र आम्रशालवन आम्रातक आय ४१ १०९ ___ ४६ ४८ . ३८,४१ ८५ ३३९ आयति २३२ २३२ आयतिस्थान आयंबिलवर्धमान आयारांग आयु आयुधशाला आर ११९ शब्द आलोचना १६९,२०१,२१०,२५६, २८७,२९१,२९६ आवर्त आवर्तग आवर्तनता ३१७ आवर्तनपीठ आवलि ११४ आवलिका ३२९,३३३ आवश्यक १४३,१७३,२०९, ३२०,३२५ आवश्यकनियुक्ति २९१ आवश्यकव्यतिरिक्त ३२० आवश्यकानुयोग ३२६ आशीविषभावना - २६९,३२० आवस्सय आवाह ७३ आशातना २१८,२२० आशीविष आश्रम ७२,२३९ आश्लेषा आषाढक आषाढाचार्य आसत्थ आसन १७,२६ आसातना १६९ आसान आसालिक आस्फोता आहार १००,१८१,२०८,२५१ आहारक आहारप्रमाण २६७ १०९ २१० १०८,१०९ आरण आरभट आरभटभसोल आरभटी आरा आराधना आर्द्रा आर्य आर्यक्षेत्र आर्यिका आलभिका आलिंग आलिघर आलिसंद आलू ५३,२४२ 9 Mm २०९ २२९ ८९ ८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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