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इस निश्चय पर अवश्य खयाल कर लेना कि तुम्हारा 'न' मेरी अकालमृत्युका कारण बन जायगा । तुम जैसी बुद्धिशालिनी मनोमोहिनीके लिए मैं अपना सर्वस्व अर्पण कर देनेके लिए तैयार हूँ और तुम्हारी कठिनसे कठिन शर्तके स्वीकार करनेमें मैं जरा भी आनाकानी न करूँगा। इससे तुम जान सकती हो कि मेरा तुम्हारे ऊपर कितना सच्चा और सम्पूर्ण प्रेम है।" ___ यह सुनकर नटपुत्री हँस पड़ी और फिर बोली-" श्रेष्टिपुत्र, यदि कोई बालक अपने पितासे कहे कि चन्द्रमाको मेरे खींसेमें लाकर रख दो और पिता उसकी उक्त इच्छाको तृप्त कर सकता हो, तो मैं भी तुम्हारी इस सच्चे हृदयकी किन्तु अशक्य प्रार्थनाको बड़ी खुशीसे स्वीकार कर सकती हूँ। तुम्हारी प्रार्थनाको ' अशक्य ' कहनेसे तुम्हें कितना दुःख होता है, सो तुम्हारे चेहरेके बदलते हुए रंगपरसे स्पष्ट दीख पड़ता है और गीतनृत्यकी कलाओंसे कोमल बना हुआ मेरा हृदय उस रंगको देखकर दुखी भी होता है । तथापि मुझे अपने कुलका, अपने व्यापारका और अपने गौरवका भी खयाल रखना जरूरी है । एक तो यह संभव नहीं है कि तुम मेरे आदरणीय व्यवसायमें उपयोगी या सहायक बन सकोगे । दूसरे, तुम हर कोई शर्तको स्वीकार करनेके लिए कहते तो हो; परन्तु अपनी जातिको बिना किसी संकोचके राजीनामा देकर मेरी जातिमें मिलनेका साहस कर सको, यह मुझे असंभावित मालूम होता है। तीसरे, तुम्हारी जो अटूट लक्ष्मी है वह तुम्हारे और मेरे बीचके प्रेममें किसी दिन वाधा डालनेवाली बन सकती है । इसलिए जब तक तुम अपने सारे धन परसे अपना अधिकार छोड़कर मेरे पाणिग्रहणकी याचना न करो, तब तक मुझे आशा नहीं है कि मैं तुम्हारे साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकूँगी । हे सुन्दर
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