Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 63
________________ दृष्टिसे जाँच । १५ वीरप्रभुका विहार, विहारभूमियों और कल्याणक भूमियोंका वर्तमान स्थान कहाँ हैं । १६ वीर भगवानके समयकी समग्र भारतकी स्थिति । १७ उस समयके साधुओंका वर्तमान साधुओंसे मिलान । १८ वीरशासनकी पूर्वावस्था और वर्तमान अवस्थाका अन्तर, कैसे सुधारोंकी आवश्यकता है और वे अमलमें कैसे लाये जा सकते हैं ? १९ वीरशासनके गणगच्छों और संघोंका ऐतिहासिक परिचय । २० वीर प्रभुका निर्वाण । २१ वीरचरितके उपलब्ध साधन-पुस्तक, शिलालेख आदि । २२ वीरचरित किस उत्तम प्रणालीसे लिखा जाना चाहिए । २३ श्वेताम्बर और दिगम्बर दृष्टिसे वीरचरितमें क्या क्या फर्क पड़ेगा ? २४ वीर प्रभुके समयमें वर्णभेद जातिभेद था या नहीं ? २५ इस समय जैनधर्मके अनुयायी प्रधानतः वैश्य ही क्यों हैं ? २६ वीर प्रभुने पाँचवाँ ब्रह्मचर्यव्रत नया खडा किया, क्या यह सच है ? २७ वर्तमानमें जैनोंकी संख्या तेरह लाख क्यों रह गई ? २८ वीर प्रभुके २.७ भवोंका उत्क्रान्तिवाद या विकासवाद । २९ वीर प्रभुकी जुदा जुदा अवस्थायें । ३० प्राचीन शिलालेख और उन परसे उनके जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है ? ३१ महावीर भगवानकी जन्मकुण्डलीके ग्रहोंपरसे ज्योतिष शास्त्रानुसार उनके जन्मका निर्णय । ३२ जैनेतर पुरुषोंकी दृष्टिमें महावीर । ६ जैनहितेच्छुका खास अंक और जैनसाहित्यका प्रचार । __ हितैषीके पाठकोंको 'जैनहितेच्छु'का परिचय कई बार कराया जा चुका है। इस मासिक पत्रको हम जैनसमाजका सर्वोत्कृष्ट पत्र समझते हैं। अबकी बार इसका पर्युषण पर्वके उपलक्षमें खास अंक प्रकाशित किया गया है। इसका विशाल आकार, एकसे एक बढ़कर वोंका संग्रह, सम्पादनका महत्परिश्रम और इन सब बातोंकी जोड़में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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