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५९१ इसकी परीक्षाके लिए वह किसी दरबार में अपने खेल दिखाकर राजाको
प्रसन्न करे। .
नट अपनी मण्डलीसहित बेनातट नगरमें पहुँचा है । वहाँके राजाने नटकला देखनेकी इच्छा प्रकट की है। राजमहलके विशाल चौकमें अश्चर्यजनक कसरतों और खेलोंमें काम आनेवाली तरह तरह की चीजें सजाई गई हैं। खंभे गडाये गये हैं, झूला बाँधे गये हैं और जमीनमें गडे हुए दो ऊँचे बाँसोंके बीच धातुका एक बारीक तार लगाया गया है। राजा और दरबारी पुरुष चौकके एक भागमें अपनी अपनी योग्यताके अनुरूप आसनों पर बैठे हैं। महलके छज्जों और झरोखोंमें रानियाँ और अन्तःपुरकी अन्य स्त्रियाँ भी तमाशा देखनेके लिए दम साधे हुए बैठी हैं। . - एक सुन्दर और सुडौल युवा जरीका जाँघिया कसे हुए चौकमें उपस्थित हुआ। उसपर दृष्टि पड़ते ही दर्शकोंके हृदयों पर एक प्रकारका मोहित करनेवाला प्रभाव पड़ा । यह युवा पाठकोंका पूर्वपरिचित श्रेोष्ठपुत्र एलाकुमार ही था।
एकके बाद एक खेल सफलताके साथ होने लगे। दर्शकगण तालियाँ पीट पीटकर हार्दिक प्रसन्नता प्रकट करने लगे। सबके अन्तमें सबसे अधिक जोखिमका-धातुके तार पर नृत्य करनेका खेल शुरू हुआ। एलाकुमार एक हाथमें चमचमाती हुई तलवार और दूसरे हाथमें ढाल लेकर आकाशके साथ बातें करनेवाले उस बारीक तार पर खड़ा हुआ और नृत्यकलाके तथा पटा खेलनेके आश्चर्यजनक कौतुक दिखलाने लगा। इस प्रयोगमें उसने आशातीत सफलता प्राप्त की। दर्शकोंने एक स्वरसे कहा-" शाबास ! नटराज शाबास! शरीर
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