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जैनधर्म की कहानियाँ भाग- १४/२७ हैं, यही तो मध्यलोक है। यह मध्यलोक अनेक विचित्रताओं से ओतप्रोत और महान वैभवशाली है।
दीवानजी : मध्यलोक की क्या विशेषता है?
राजा श्रीकंठ : मध्यलोक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मुक्तदशा की प्राप्ति मध्यलोक से ही हो सकती है।
जम्बद्वीप
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/ शिरवरी
पुण्डरीका
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भंडारीजी : क्या पूरे मध्यलोक से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं?
राजा श्रीकंठ : मध्यलोक में भी असंख्य द्वीप-समुद्र हैं, उनमें से मात्र ढाई द्वीप से ही मुक्ति को प्राप्त हो सकते हैं।