Book Title: Jain Agamo me Parmatmavada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 67
________________ ( ५० ) और अवस्थित भी रहते है । मूल पाठ केवइय काल वड्ढति ? * सिद्धा ण भते ! गोयमा ! जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण अटठसमया । हिन्दी - भावार्थ भगवान गौतम बोले- भगवन् । सिद्ध कितने काल तक बढ़ते हैं ? भगवान महावीर बोले- गौतम । कम से कम एक समय तक और अधिक से अधिक आठ समय तक 1 मूल पाठ + सिद्धा ण भते । केवइय काल अवट्टिया ? गोयमा ! जहणेण एक्क समय, उक्कोसेण छम्मासा । हिन्दी- भावार्थ भगवान गौतम बोले-भगवन् । सिद्ध कितने काल तक अवस्थित रहते है ? भगवान महावीर बोले- गौतम ! कम से कम एक समय तक और अधिक से अधिक छह मास तक । * सिद्धा भदन्त ! कियन्त काल वधन्ते ? गौतम ! जघन्येन एक समयमुत्कर्षेण भ्रष्ट समयान् । + सिद्धा भदन्त ! कियन्त्र कालमवस्थिताः ? गौतम ! जघन्येन एक समयमुत्कर्षेण षण्मासात् ।

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