Book Title: Jain Agamo me Parmatmavada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 90
________________ ।७३ वर्णन है। __भगवान बोले- गौतम सर्वजीवो का वर्णन करने वाली नव प्रतिपत्तिया (अध्ययन) कही गई है । जैसेकि___ कई एक ऐसा कहते है कि सब जाव दो प्रकार के होते है, यावत् दस प्रकार के होते है। जो यह कहते है कि जीव दो प्रकार के होते है,उन को मान्यता इस प्रकार है १-सिद्ध, और २-असिद्ध अनगार गौतम बोले-भदन्त | सिद्ध भगवान की सिद्धत्व' रूप से कितनी स्थिति होती है ? भगवान महावीर ने कहा - गौतम । सिद्ध भगवान की स्थिति एक सिद्ध की अपेक्षा से सादि अनत होती है । अनगार गौतम बोले-भदन्त ! असिद्ध जीवो (ससारी जीवो) की असिद्धत्व रूप से कितनी स्थिति होती है ? __ भगवान महावीर ने कहा-गोतम | असिद्धजीव दो प्रकार के कहे गये है, जैसेकि १ अनादि-अनन्त, २. अनादि-सान्त अनगार गौतम बोले-भदन्त । काल की अपेक्षा से सिद्ध भगवान का कितना अन्तर होता है ? अर्थात् सिद्ध सिद्धत्व को छोडकर पुन कब सिद्ध बनते है ? भगवान महावीर ने कहा-गौतम | सादि-अनन्त सिद्ध भगवान का कोई अन्तर नही होता है। अर्थात् सिद्ध भगवान सिद्धत्व से कभी रहित नहीं होते है। अनगार गौतम बोले-भदन्त ! काल की अपेक्षा से प्रसिद्ध जीव का कितना अन्तर होता है ? अर्थात् असिद्ध जीव

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