Book Title: Jain Agamo me Parmatmavada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 99
________________ (८२) चाहिए। अथवा सर्वजीव दो प्रकार के कहे गए है । जैसेकि सवेदक (स्त्री, आदि वेद वाले) और अवेदक (वेदरहित)। अनगार गौतम बोले-भगवन् । सवेदक जीव कितने प्रकार के होते है ? भगवान महावीर ने कहा--गौतम ! सवेदक जीव तीन प्रकार के होते है। जैसेकि-१-अनादि-अनन्त, २-अनादिसान्त, ३-सादि-सान्त । इन मे से जो सादि-सान्त जीव है, उन की अवस्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त, और उत्कृष्ट अनन्त काल तक है । यावत् क्षेत्र से *देशोन अपार्ध पुद्गल परिवर्तन तक है। ___ अनगार गौतम बोले-भदन्त । अवेदक जीव काल की अपेक्षा से कब तक रहता है ? भगवान महावीर ने कहा-गौतम | अवेदक जीव दो प्रकार के कहे गये है । जैसेकि-१-सादि-अनन्त और २-सादिसान्त । इन मे से जो सादि सान्त है, उनकी जघन्य स्थिति एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की होती है। अनगार गौतम बोले-भगवन् ! सवेदक जीव का अन्तर कितने समय का होता है ? भगवान महावीर ने कहा-गौतम | अनादि-अनन्त तथा अनादि-सान्त सवेदक जीव का अन्तर नही होता है। कितु सादि-सान्त सवेदक जीव का अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त का होता है । *पुद्गलपरिवर्तन के अर्थ के लिए देखो, श्री जैनसिद्धान्त बोससग्रह भाग ३, पृष्ठ १३८ । -

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