________________
(८३) अनगार गौतम बोले-भगवन् । अवेदक जीव का अन्तर कितने समय का होता है ? __भगवान महावीर ने कहा-गौतम | सादि-अनन्त अवेदक जीव का अन्तर नही होता है, किन्तु सादि-सान्त अवेदक जीव का अन्तर जघन्य अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट अनन्त काल का होता है । यावत् क्षेत्र से देशोन अपार्ध पुद्गलपरावर्तन का
होता है।
सवेदक और अवेदक जीवो का अल्प-बहुत्व इस प्रकार है
सब से कम अवेदक जीव है, और सवेदक इन से अनत गणा अधिक है। सकषायी और अकषायी जीवो का अन्तर सवेदक जीवो के समान समझना चाहिए।
अथवा सर्वजीव दो प्रकार के कहे गए है। जैसे कि-सलेश्य (कृष्ण आदि लेश्याओ वाले) और अलेश्य (लेश्याओं से रहित) । सब से कम अलेश्य है, सलेश्य इन से अनन्त गुणा अधिक होते है।
मूल पाठ *णाणी चेव अण्णाणी चेव । णाणी ण भते ! कालओ० ? २ दुविहे पण्णत्ते-सातीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ ण जे से सादीए सपज्ज
* ज्ञानिनश्चैव अज्ञानिनश्चैव । ज्ञानी भदन्त | कालत.. ? २ द्विविध. प्रज्ञप्त. । सादिको वा अपर्यवसित., सादिको वा सपर्यवसित. । तत्र य सादिक सपर्यवसित., स जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कर्षेण षट्षष्टि-सागरोपमानि सातिरेकाणि । अज्ञानिनो यथा सवेदका ।