Book Title: Jagat aur Jain Darshan
Author(s): Vijayendrasuri, Hiralal Duggad
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 7
________________ चित्रपरिचय इस पुस्तक मे आप जिसका चित्र देख रहे हैं वह एक प्रतिभाशाली और होनहार बालक था। इसका जन्म खुजनेर (मालवा) मे श्रीमान् माणकचन्दजी रामपुरिया के घर मिति आश्विन वदि १३ संवत् १९७६ को हुआ था। माता पिता ने इस बालक का नाम मागीलाल रखा था। इसका शरीर और चेहरा बहुत सुडोल और मन-मोहक था। जो एक बार इसे देख लेता वह 'इसे कभी नहीं भूलता। यह पढ़ने मे बहुत ही होशियार था मात्र १५-१६ वर्ष की आयु मे मैट्रिक परीक्षा नरसिंहगढ़ की हाई स्कूल से पास कर कलकत्ता आ गया था। यहां आकर विद्यासागरकॉलेज मे I Com की पढ़ाई करता था। पक्का जैनी था-देव, गुरु, धर्म पर इसे अटूट श्रद्धा थी। यह बडा नम्र, सुशील, चतुर, बुद्धिशाली और माता पिता का आज्ञाकारी था। वीकानेर निवासी सुश्रावक राजमलजी कोचर एवं इनकी धर्मपत्नी परमश्राविका, सुशीला, सौभाग्यवती सोहनवाई की आयुष्यमती सुपुत्री भंवरबाई से इसका विवाह मिति माघ वदि ७ संवत् १६६३ को हुआ था। यह होनहार वालक मिति फाल्गुन

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