Book Title: Jagat aur Jain Darshan
Author(s): Vijayendrasuri, Hiralal Duggad
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 28
________________ [ १६ ] डा० कोवी, डा० पेटोल्ड, डा० स्टीनकोनो, डा० हेलमाऊथ, डा० हर्टल एवं दूसरे अनेक विद्वान जैनतत्त्वज्ञान तथा साहित्य का अभ्यास और प्रकाश यूरोपादि देशों में कर रहे हैं। प्राचीनता जैनधर्म प्राचीन होने का दावा करता है। जगत् के धार्मिकइतिहास की तरफ़ दृष्टि डालने से ज्ञात होगा किहजरत मूसा ने यहूदीधर्म चलाया। कन्फयुसीयस (जो कि चीनदेश का प्राचीनधर्म संस्थापक प्रवर्तक हो गया है उस) ने कन्फयुससधर्म की स्थापना की। महात्मा ईसा (क्राईस्ट) ने ईसाईधर्म प्रारंभ किय। हजरत मुहम्मद ने मुसलिमधर्म शुरु किया। महात्मा बुद्ध ने बुद्धधर्म संस्थापन किया। तथा महान् जरथोस्त ने पारसीधर्म की नींव डाली। परन्तु इसमें सन्देह जैसी कुछ भी बात नहीं है कि इन सब से पहिले अर्थात् आज से २४५१ वर्ष पहले भगवान महावीर ने प्राचीन काल से चले आते जैनधर्म का प्रचार किया इस लिये जैनधर्म की दृष्टि से ये सब धर्म आधुनिक गिने जा सकते हैं। अब मात्र ब्राह्मणधर्म (वैदिक धर्म) तथा जैनधर्म ये दोनों प्राचीन धर्म गिने जाते है इस लिये अब इन धर्मों के सम्बन्ध मे कुछ विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है। बौद्ध के धर्म ग्रंथ-पिटक ग्रंथ महावग्ग और महापरिनिवाण मुत्त आदि भी जैनधर्म और महावीर स्वामी के

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