Book Title: Jagadguru Heersurishwarji
Author(s): Punyavijay
Publisher: Labdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan

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Page 22
________________ के प्राणियों के साथ मंत्रीभाव करनेवाले है। और समस्त जीव लोक सुख-शान्ति आबादी के साथ धर्ममय जीवन व्यतीत कर कल्याणपथ के यात्री बनें ऐसी प्रार्थना करते है। - ऐसी बात चल रही थी इसमें इधर के सुप्रसिद्ध कुंवरजी भाई श्रावक वंदनार्थ आये। उसने जैन साधु कैसी मर्यादा से पवित्र जीवन बिताते है। उनका परिचय दिया। वह यह सुनकर हाकेम बडा खुश हो गया। और उपाश्रय के बाहर आकर दीन-दुःखी को दान दिया। इतने में एक पुलिशपार्टी वहाँ आई। और समाधान सुनकर वे कुंवरजी श्रावक के साथ चर्चा करने लगे। इसमें कुछ मामला तंग हो गया। पार्टीने कोटवालके पास जाकर उनको vill Power चढाया। कोटवालने होरसूरिको कैद करने के लिए हुकम के साथ पुनः पार्टी भेज दी। मगर पहिले मालुम हो जानेसे वहाँसे हीरसूरिजी नग्न देहे भगे। और वहाँ देवजी लौंकाने आश्रयदान दिया। कितने दिनों बाद हल-चल मिट गई। और हीरसूरि महाराज शान्ति से गांव-नगर विहार करने लगे। "लब्धिवाणी" सरकार का वारंट किसी भी निमित निकालकर पीछे हटा सकोंगे। मगर मृत्मु का वारंट पीछे हटा नहीं सकोंगे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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