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जब सूरिवर मेडता पधारे तब राजा सादिमने आपका भव्य एवं प्रभावक स्वागत किया। वहां से आपका ज्येष्ठ सुद १२ के दिन आग्रा में पुनित पदार्पण हुआ। तब संघने ११ मैल से कल्पनातीत अप्रतिम बडा सामैया किया था। आपके साथ में तब नैयायिक-वैयाकरणचतुर, शतावधानी एवं विविध विषय के प्रकाण्ड मुनिवर ५७ थे।
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"लब्धिवाणी" महिला ओंकी मधुर वाणी, मीठी स्नेहाल दृष्टि और कारमी काययस्ती यह व्रण एक म्यान में रही हुई तलवार जैसी पलवारमे अघोगतीमे
ले जाती है।
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" लब्धिवाणी" कामी और हरामी आत्माओं को आत्मरामी आत्माएं आंचमे गिरे हुए तिनका, जैसा लगता है ऐसा ही दुःखता है
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