Book Title: Jagadguru Heersurishwarji
Author(s): Punyavijay
Publisher: Labdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan

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Page 46
________________ 35 सब मुनिवरों के साथ आयंबील कर महाराजासे भेट की। और ऐसा प्रभावोत्पादक बोध का धोध बहाया कि राजाने उसी दिन शामको सबको मुक्त कर दिया। . ऐसे खंभात के सुल्तान हबीबुल्लाह, अहमदाबाद के सुबा आजयखां, पाटण के सुबा का सीमखाँ, (वि. सं, १६६० के समय सिद्धाचल यात्रा संघ में जाते समय अहमदाबाद में सुलतान मुराद (अकबरके पुत्र) आदि कई राजाओं, सुबेदारों को उपदेश-वारि से बोध देकर अहिंसा देवी का साम्राज्य प्रसारा था और शासन की महाप्रभावना की थी। IMILAIFILMभामाILIIIIIIHIसाह TIMITI VUITTOMIITITOITUITO SIMILIAMINOMANTIादात WOWTIMIZGATIVUILLOU __लब्धिवाणी" जैसे-जैसे तष्णा तरूण होती है वैसे-वैसे मोह अरूण होता है। मोहकी मस्ती दुरकरनी होतो धर्मकी मस्ती उत्पन्न करो ! mymuTIMILIANS wimmHIGEN IIII I IIIII TIMIIIIMNESTIIIIIII IIIII IIIMSTITUTOINTIMITIGATI "लब्धिवाणी" संतति को संस्कारी बनाने के लिये माँ-बाप और बडोलोगोंको प्रथम अपना संस्कारी जीवन बनाने की जरूरत है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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