Book Title: Jagadguru Heersurishwarji
Author(s): Punyavijay
Publisher: Labdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ 12 मुगल बादशाह का आमन्त्रण : 'अकबर की सभा पांच विभागों में विभक्त थी । इसमें पहिले लाइन में १६ वाँ नंबर में हरजी सूर है।' ऐसी सूची आइने अकबरी नामक ग्रंथ में है । वो ही अपने चरित्र नायक आचार्य विजय होर सूरीश्वरजी महाराज । कौनसा निमित्तसे आचार्यदेव की अकबर के साथ मुलाकात हुई इस प्रसङग को जानने के लिये वाचक को भी बडी तमन्ना हो गई होगी । अतः अब जानकारी दे देता हूँ । दिल्ही के मेइन रोड पर भारी हलचल मचगई है । बैन्ड और शहनाई का मधुर स्वरोंदो गगन को भेद कर रहे है । जैन शासन की जय, महातपस्वी चंपाबाई की जय, ऐसा जय-जय का बुलंद नादोनें दिशाओं को शब्दमय बना दिया है । महा तपस्वी का भव्य जुलुस सडक पर से जा रहा है । झरुखा में बैठे हुवे सारे हिंदुस्तान के बादशाह अकबर व जुलुस को देखकर पास में खडे हुए सेवक को पूछने लगा, वह कौन सा जुलुस है । तब सेवक ने कहा, राजन् ! चंपाबाई श्रावीकानें छ महिना का उपवास ( रोजा) किया है। वह अपने जैसा रोजाउपवास करते है, ऐसा नहीं, किंतु दिनरात खाना नहीं और सूर्योदय के बाद आवश्यकता हो तो गर्मपाणी पीते है । वह सूर्यास्त के बाद पाणी भी नहीं लेते है । ऐसी महान उपवास की तपश्चर्या श्रावकानें की है । अकबर वह सुनकर राहु से ग्रस्त है ऐसा ठंडा हो गये । और आश्चर्य से Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat सूर्य कैसा ठंडा हो जाता बोलने लगा, ऐसा क्या www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60