Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 15
________________ कर्मोकी स्थिति रचनामें ज्ञातव्य राशियाँ सत्तर कोडाकोड़ीवाले मिथ्यात्व कर्मकी अन्योन्याभ्यस्त राशि और गुणहानि गुणहानि आयामका प्रमाण गुणहानिका प्रमाण और प्रयोजन अंक संदृष्टि अपेक्षा निषेकोंका यन्त्र अर्थरूपमें कथन पल्यकी वर्गशलाका मूल आदिका कथन बीस कोडाकोड़ी आदिकी स्थितिकी नाना गुणहानि और अन्योन्याभ्यरत राशि आयु कर्मके स्थिति भेदोंमें विलक्षणता त्रिकोण रचनाका चित्रण सत्तारूप त्रिकोण यन्त्र के जोड़ देनेका विधान सात कर्मों की उत्कृष्ट स्थितिके भेद सान्तर स्थितिके भेद कषायाध्यवसाय स्थानोंका कथन स्थिति बन्धाध्यवसायस्थानोंका प्रमाण विषय-सूची १२७९ आयु कर्मके स्थिति बन्धाध्यवसायोंमें विशेषता १३४८ १२८२ अंक संदृष्टि द्वारा कयन १३४९ १२८४ शेष कर्मोंके बन्धाध्यवसायोंका कथन १३५५ १२८४ अंक संदृष्टि द्वारा कथन १३६१ १२८८ अनुकृष्टि विधानका कथन १२८९ विशेष प्रमाणका कथन १३६४ १३०१ अनुकृष्टिके खण्डोंमें स्थितिबन्धाध्यवसाय स्थानों का प्रमाण १३०७ प्रथम गुणहानिमें अनुकृष्टि रचनाका कथन १३६९ १३२१ उसीका अंकसंदृष्टि द्वारा कथन १३७४ १३२४ आठों ही कर्मोकी उक्त रचना विशेषमें समानता है १३८० १३२७ अनुभाग बन्धाध्यवसायस्थानोंका कथन १३८१ १३३८ ग्रन्थको प्रशस्ति १३८६ १३३९ कर्णाट वृत्तिकार की प्रशस्ति १३८९ १३४१ संस्कृत टीकाकारको प्रशस्ति १३९३ १३४४ परिशिष्ट १३९७-१४५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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